सोमवार, 5 अगस्त 2024

#बृहद ब्रह्मांड--4

हम घर में रहते हैं। हमारा घर धरती पर है। हमारी धरती हमारे ब्रह्मांड में स्थित है और हमारा ब्रह्माण्ड एक बृहद ब्रह्मांड में स्थित है जिसे हम SUPER UNIVERSE कह सकते हैं। हम एक उदाहरण स्वरूप कल्पना करते हैं:- मान लेते हैं कि एक बर्फ का ढेला है जो कि पानी के बीच में है। बर्फ के चारो ओर बड़े आकार में पानी का गोला है। पानी के गोले के चारो तरफ हवा का गोला है। हवा के गोले के चारो तरफ रिक्त आकाश का गोला है। यानि बर्फ पानी में है, पानी हवा में है और हवा रिक्त आकाश में है। यहां यदि हम बर्फ को अपनी पृथ्वी मान लें तो पानी हमारे वायुमंडल की तरह है और रिक्त आकाश बृहद ब्रह्मांड की तरह।
हमारी धरती, अन्य ग्रह, नक्षत्र इत्यादि अन्य सभी पिंड हमारे ब्रह्मांड में विचरण कर रहे हैं। हमें दिखाई देने वाला हर चीज,हमें महशुस होने वाली हर चीज, हमें सुनाई देने वाली हर आवाज़, यहां तक कि हमें दिखाई नहीं देने वाली चीजें भी सभी हमारे ब्रह्मांड में अवस्थित हैं। हम या कोई भी भेाैतिक पिंड सभी हमारे ब्रह्मांड के पंच तत्वों से बना हुआ है और सभी भौतिक पदार्थ हमारे ब्रह्मांड के अंश हैं। कोई भी भौतिक पदार्थ हमारे ब्रह्मांड के अंश से उत्पन्न होता है और समय बीतने के साथ समाप्त हो कर पुनः ब्रह्मांड में मिल जाता है। ब्रह्माण्ड के कणों से आकृति धारण करना और पुनः ब्रह्माण्ड में ही मिल जाना, यही प्रक्रिया चलते रहती है। 
हमारे ब्रह्मांड के सबसे छोटे कण जो हमारे ब्रह्मांड के पिंडों को बनाते हैं, वे बृहद ब्रह्मांड से आते हैं और अंत में पुनः बृहद ब्रह्मांड में ही चले जाते हैं और यही प्रक्रिया चलते रहती है।
समझने के लिए एक उदाहरण लेते हैं:-
आकाश में पानी वाले बादल उड़ते हैं, उन बादलों में कभी कभी ओले (बर्फ के टुकड़े) भी रहते हैं। आकाश में जो बादल होते हैं, वे कहां से आते हैं? वे बादल समुद्र से आते हैं। समुद्र से वाष्प उड़ते हैं और पानी के छोटे कण का रूप धारण करते हैं और पानी के कण के रूप में प्रकट होते हैं। अब यहां पर बादलों में स्थित ओलों को हम ब्रह्मांड के पिंडों के रूप में मानते हैं, यानि ये ओले ग्रह नक्षत्र के सदृश हैं, तो पूरा बादल हमारे ब्रह्मांड के सदृश है और ये समुद्र बृहद ब्रह्मांड के सदृश। हम जानते हैं कि ये ओले समुद्र से आए हैं और अंततः समुद्र में ही विलीन हो जाएंगे। हम यूं कहें कि पूरा बादल ही समुद्र से आया है और अंततः समुद्र में ही चला जायेगा।
उसी प्रकार हमारा ब्रह्मांड भी बृहद ब्रह्मांड से आया है और अंततः उसी में यानि बृहद ब्रह्मांड में चला जाएगा।
आकाश में नए बादलों के झुंड बनते रहते हैं और अंत में सागर में वापस चले जाते हैं। आकाश में बादल हमेशा यानि निरन्तर बनते रहते हैं और अंत में सागर में जाते रहते हैं। यह प्रक्रिया चलते रहती है। उसी प्रकार हमारा ब्रह्मांड (ब्रह्मांड के कण) प्रकट होते रहता है और हमारे ब्रह्मांड के अंश पुनः बृहद ब्रह्मांड में जाते रहते हैं और यह प्रक्रिया चलते रहती है। यानि हमारा ब्रह्मांड निरन्तर बना रहता है , सिर्फ हमारे ब्रह्मांड के पिंड बदलते रहते हैं। नए कण प्रकट होते रहते हैं, पिंड का रूप धारण करते हैं और पुराने पिंड समाप्त होते रहते हैं।

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