ब्रह्माण्ड कैसे बना ? यह कहाँ से आया ? यह कहाँ जा रहा है ? इत्यादि अनेकों प्रश्न ऐसे हैं जिसका जबाब खोजने के लिए मनुष्य सदियों से प्रयासरत्त है . वैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक दोनों तरह के प्रयास जारी हैं ! वैज्ञानिक अपने-अपने सिधान्तों एवं प्रयोगों द्वारा प्रयास कर रहें हैं तो संत महात्मा लोग पौराणिक ग्रंथों एवं ध्यान का सहारा ले रहे हैं ! ब्रह्माण्ड क्या है ? कैसे बना ? कौन बनाया ? कहाँ से आ रही है एव कहाँ जा रही है ? इत्यादि इन प्रश्नों पर अलग-अलग मत्त हैं . अलग-अलग वैज्ञानिकों का अलग-अलग मत्त हैं . उसी प्रकार अलग-अलग अध्यात्मिक ज्ञानियों का भी अलग-अलग मत हैं ! सभी धर्म अपने-अपने धर्मानुसार इस ब्रह्माण्ड की व्याख्या करते हैं ! चाहे धार्मिक व्याख्या हो या वैज्ञानिक , अभी तक किसी के पास कोई ठोस प्रमाण नहीं है ! सबका अपना-अपना दर्शन है !सबकी अपनी-अपनी फिलोसफी है ! वैज्ञानिक हेड्रन कोलाईडर बना रहे हैं ये पता लगाने का लिए कि ब्रह्माण्ड कि उत्पत्ति कैसे हुई ! अपने-अपने प्रयोगों पर विश्वाश किसी को नहीं है ! हो सकता है कि ब्रह्माण्ड कि जो वैज्ञानिक अवधारना है वह बिलकुल ही गलत हो ! मनुष्य प्रारंभ से ही ब्रह्माण्ड को प्रश्न भरी नजरों से देखता आया है , अपनी जड़ें तलाशने में लगा हुआ है . ये सोंचता है कि आखिर मैं आया कहाँ से हूँ ? ये ब्रह्माण्ड ये श्रृष्टि कहाँ से आयी ? इस ब्रह्माण्ड का स्वरुप कैसा है ? शेष अगले भाग में ..........
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